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इक दूजे में खोना है / ममता किरण

इक दूजे में खोना है
चाँद गगन सा होना है

दो ही मौसम होते हैं
हँसना है या रोना है

जीवन की हर इक लय में
तेरा नाम पिरोना है

क्यूँ न उनको तोड़ ही दो
जिन रिश्तों को ढोना है

उजड़ी शाखें हरी रहें
बीज प्यार के बोना है

उसको पाने की ख़ातिर
उसमें ख़ुद को खोना है