भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"इक भिखारी से भिखारी आके क्या ले जायेगा / नज़ीर बनारसी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नज़ीर बनारसी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
<poem>
 
<poem>
 
इक भिखारी से भिखारी आके क्या ले जायेगा
 
इक भिखारी से भिखारी आके क्या ले जायेगा
वह भी तोहमसे खुदा ही का दिया ले जायेगा
+
वह भी तो हमसे ख़ुदा ही का दिया ले जायेगा
  
 
यात्री लाखों मगर मंजिल पे पहुँचेगा वही
 
यात्री लाखों मगर मंजिल पे पहुँचेगा वही
साथ अपने जो फकीरों की दुआ ले जायेगा
+
साथ अपने जो फ़कीरों की दुआ ले जायेगा
  
 
है जो माखनचोर, वह नटखट है, हृदयचोर भी
 
है जो माखनचोर, वह नटखट है, हृदयचोर भी
इक नजर में लूट कर पूरी सभा ले जायेगा
+
इक नज़र में लूट कर पूरी सभा ले जायेगा
  
 
अपने दर पर तूने दी है जिसको सोने की जगह
 
अपने दर पर तूने दी है जिसको सोने की जगह
 
वह तिरी आँखों की नींदें तक उड़ा ले जायेगा
 
वह तिरी आँखों की नींदें तक उड़ा ले जायेगा
  
हद से आगे बढ़ के मत दो दान हो या दक्षिणा
+
अपनी हद में रह के देना दान हो या दक्षिणा
वरना तुमको वक्त का रावण उठा ले जायेगा
+
वरना तुमको वक़्त का रावण उठा ले जायेगा
  
इक बहेलिया तक का है चहचहाते पेड़ को
+
इक बहेलिया ताकता है चहचहाते पेड़ को
 
पंछियो, बचना यह कितनों को उड़ा ले जायेगा
 
पंछियो, बचना यह कितनों को उड़ा ले जायेगा
  
बाढ़ से दरिया किनारे रात मत सोना ’नजीर’
+
बाढ़ में दरिया किनारे रात मत सोना 'नज़ीर’
वरना सोते में तुम्हें तूफाँ उठा ले जायेगा
+
वरना सोते में तुम्हें तूफ़ाँ उठा ले जायेगा
 
</poem>
 
</poem>
 
{{KKMeaning}}
 
{{KKMeaning}}

07:42, 13 मार्च 2019 के समय का अवतरण

इक भिखारी से भिखारी आके क्या ले जायेगा
वह भी तो हमसे ख़ुदा ही का दिया ले जायेगा

यात्री लाखों मगर मंजिल पे पहुँचेगा वही
साथ अपने जो फ़कीरों की दुआ ले जायेगा

है जो माखनचोर, वह नटखट है, हृदयचोर भी
इक नज़र में लूट कर पूरी सभा ले जायेगा

अपने दर पर तूने दी है जिसको सोने की जगह
वह तिरी आँखों की नींदें तक उड़ा ले जायेगा

अपनी हद में रह के देना दान हो या दक्षिणा
वरना तुमको वक़्त का रावण उठा ले जायेगा

इक बहेलिया ताकता है चहचहाते पेड़ को
पंछियो, बचना यह कितनों को उड़ा ले जायेगा

बाढ़ में दरिया किनारे रात मत सोना 'नज़ीर’
वरना सोते में तुम्हें तूफ़ाँ उठा ले जायेगा

शब्दार्थ
<references/>