Last modified on 23 अप्रैल 2011, at 19:01

इक मुश्तरका रकबा हूँ / विज्ञान व्रत

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:01, 23 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विज्ञान व्रत |संग्रह=जैसे कोई लौटेगा / विज्ञान व…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इक मुश्तरका रकबा हूँ
जाने किसका कितना हूँ

जंग लगा दरवाजा हूँ
मैं मुश्किल से खुलता हूँ

सदियों बाद बनेगा जो
मैं उस घर का नक्शा हूँ

पल भर में क्या समझोगे
मैं सदियों में बिखरा हूँ

दानिश्वर क्या समझेंगे
मैं बच्चों की भाषा हूँ