Last modified on 13 जुलाई 2015, at 14:27

इक युवती / इमरोज़ / हरकीरत हकीर

दरिया के उस पार से
किसी की बांसुरी इस पार को
मस्त कर रही थी...
दरख्त से सटकर खड़ी एक युवती
अपना आप भूल कर बांसुरी सुन रही थी
पास खड़ा वक़्त
बांसुरी के साथ भी मस्त हो रहा था
और युवती को देख -देखकर भी
अच्छी लगती युवती को
वक़्त ने पूछ ही लिया
बीबी तुम हीर हो या सोहणी...?
घर से चली तो मैं हीर थी
यह दरिया पार करके मैं
सोहणी हो जाऊंगी...