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"इज़हार का मतरूक रास्ता / ज़ाहिद इमरोज़" के अवतरणों में अंतर

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इज़हार मोहब्बत के लिए लाज़मी नहीं
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इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए लाज़मी नहीं
 
कि फूल ख़रीदे जाएँ
 
कि फूल ख़रीदे जाएँ
 
किसी होटल में कमरा लिया जाए
 
किसी होटल में कमरा लिया जाए

13:33, 17 मार्च 2016 के समय का अवतरण

इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए लाज़मी नहीं
कि फूल ख़रीदे जाएँ
किसी होटल में कमरा लिया जाए
या परिंदे आज़ाद किए जाएँ

इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए तुम अपने बोसे
काग़ज़ में लपेट कर भेज सकती हो
जिस तरह मैं ने अपने जज़्बे
तुम्हें पोस्ट कर दिए हैं