Last modified on 17 मार्च 2016, at 13:33

इज़हार का मतरूक रास्ता / ज़ाहिद इमरोज़

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:33, 17 मार्च 2016 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए लाज़मी नहीं
कि फूल ख़रीदे जाएँ
किसी होटल में कमरा लिया जाए
या परिंदे आज़ाद किए जाएँ

इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए तुम अपने बोसे
काग़ज़ में लपेट कर भेज सकती हो
जिस तरह मैं ने अपने जज़्बे
तुम्हें पोस्ट कर दिए हैं