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सिर्फ अपना
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प्यार तो समर्पण
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ढूँढे क्यों ख़ता
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बन जा तू क़ाबिल
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बेकार ना आज़मा।
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यूँ ना तड़पा
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और चुप रहके
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न पीड़ा बढ़ा
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कह ग़म अपने
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हर लूँ मैं अँधेरे।
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हुआ बेरंग
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जीवन बिन तेरे
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टूटी है आस
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पनघट पे बैठी
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रही प्यासी ही प्यास।
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इतनी  चाह-
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फूलें -फलें संबंध
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सच्ची हो वफ़ा
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आए नहीं दरार
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पलता रहे प्यार।
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तुम क्या मिले
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बने शूल राहों के
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फूलों के गुंचे
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राहें हुईं आसान
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सुख मेहरबान।
  
 
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05:11, 29 जुलाई 2019 के समय का अवतरण

1
तरसा मन
करूँ तुमसे बातें
रूठा क्यूँ रिश्ता
दहके दिन मेरे
जलती रहीं रातें।
2
दे देते यदि
अँजुरी भर प्यार
जी लेते हम
पतझर ऋतु में
बनकर बहार।
3
सिर्फ अपना
प्यार तो समर्पण
ढूँढे क्यों ख़ता
बन जा तू क़ाबिल
बेकार ना आज़मा।
4
यूँ ना तड़पा
और चुप रहके
न पीड़ा बढ़ा
कह ग़म अपने
हर लूँ मैं अँधेरे।
5
हुआ बेरंग
जीवन बिन तेरे
टूटी है आस
पनघट पे बैठी
रही प्यासी ही प्यास।
6
इतनी चाह-
फूलें -फलें संबंध
सच्ची हो वफ़ा
आए नहीं दरार
पलता रहे प्यार।
7
तुम क्या मिले
बने शूल राहों के
फूलों के गुंचे
राहें हुईं आसान
सुख मेहरबान।