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इतनी चाह- / कृष्णा वर्मा

1,292 bytes added, 23:41, 28 जुलाई 2019
[[Category:ताँका]]
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1तरसा मनकरूँ तुमसे बातेंरूठा क्यूँ रिश्तादहके दिन मेरेजलती रहीं रातें।2दे देते यदिअँजुरी भर प्यारजी लेते हमपतझर ऋतु मेंबनकर बहार।3सिर्फ अपनाप्यार तो समर्पणढूँढे क्यों ख़ताबन जा तू क़ाबिलबेकार ना आज़मा।4यूँ ना तड़पाऔर चुप रहकेन पीड़ा बढ़ाकह ग़म अपनेहर लूँ मैं अँधेरे।5हुआ बेरंगजीवन बिन तेरेटूटी है आसपनघट पे बैठीरही प्यासी ही प्यास।6इतनी चाह-फूलें -फलें संबंधसच्ची हो वफ़ाआए नहीं दरारपलता रहे प्यार।7तुम क्या मिलेबने शूल राहों केफूलों के गुंचेराहें हुईं आसानसुख मेहरबान।
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