भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इतनी तेज़ हवाएँ दे / विनय मिश्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:16, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय मिश्र }} {{KKCatGhazal}} <poem> इतनी तेज़ हवाएँ दे । पीपल …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इतनी तेज़ हवाएँ दे ।
पीपल जगे दुआएँ दे ।
 
शापों का संत्रास मिटे,
दे कुछ और कथाएँ दे

शब्दों का परिहास न हो,
ऐसी परिभाषाएँ दे ।
 
बीत गया सो बीत गया,
वर्तमान आशाएँ दे ।
 
मरण जले और हाथ मले,
जीवन की समिधाएँ दे ।
 
तू कवि है, क्या दूँ तुझको,
मैंने कहा ऋचाएँ दे ।