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इन कूओं के पानी से क्या बुझ पाएगी आग ? / सुल्‍तान अहमद

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इन कूओं के पानी से क्या बुझ पाएगी आग?
जंगल के सीने में जिस दिन लग जाएगी आग।

लावा इतना मत बनने दो ढाकर उस पर जुल्म,
धरती इक दिन फट जाएगी, बरसाएगी आग।

जीवन की ख़ुशबू से ख़ाली हो बैठे हैं काठ,
उनको अपने हाथों छूकर महकाएगी आग।

चाहे जितनी धूल हो उन पर चाहे जितना जंग
सान पे चढ़कर अगर न चमके चमकाएगी आग।

कोने में उनको फेंको या रक्खो हाथों-हाथ,
किसमें कितना लोहा है ये बतलाएगी आग।