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इब तो जागज्या किसान / रणवीर सिंह दहिया

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इब तो जागज्या किसान, देख हमनै कौण लूट रहया॥

दिन और रात काम करैं, फेर भी मुश्किल पेट भरैं
करैं मौज यहाँ धनवान, तूँ पाणी से रोटी घूंट रहया॥

ये पंडे और पुजारी लूटैं, ये अमरीकी ब्योपारी लूटैं
लुटैं क्यों हम भगवान, क्यों अमरीका खागड़ छूट रहया॥
इब तो

बिजली चमकै पाला पड़ता, तूँ पाणी के भीतर बड़ता
लड़ता सरहद पै जवान, वह चांदी महलां मैं कूट रहया॥
इब तो

धनवानों के महल अटारी, खोस लेज्याँ मेहनत म्हारी
उतारी म्हारे घर की छान, बांस ऊँका बीच तैं टूट रहया॥
इब तो

जब जब ठाये हमनै झंडे, पुलिस के खाये गोली डंडे
बनादें मरघट का शमशान, घाल कमेरयाँ भित्तर फूट रहया॥
इब तो

आज इंसान करया लाचार, नाव फंसी बीच मंझदार
हरबार लड़ावै यो बेईमान, म्हारा सब किमै यो चूट रहया॥
इब तो

सुन रणबीर सिंह का गाणा, रोवै बूढ़ा और याणा स्याणा
बताणा करे दारू नै गलतान, भाइयो बोल ना झूठ रहया॥
इब तो