Last modified on 22 फ़रवरी 2012, at 20:48

इम्तहान की बिल्ली / नागेश पांडेय 'संजय'

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:48, 22 फ़रवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= नागेश पांडेय 'संजय' |संग्रह= अपलम च...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इम्तहान की बिल्ली आई,
बड़े जोर से वह गुर्राई।
सारे चूहे काँपे थर-थर,
झट भागे सिर पर पग रखकर।
पहुँचे जिसके तिसके बिल में,
धुकुर-पुकुर थी सबके दिल में।
छूट रही थी तेज रुलाई
इम्तहान की बिल्ली आई।

चहकी इम्तहान की बिल्ली,
लगी उड़ाने सबकी खिल्ली-
है कोई जो बाहर आए,
आकर मुझसे आँख मिलाए,
याद दिला दूँगी रघुराई,
इम्तहान की बिल्ली आई।

सुन बिल्ली की बातें तीखी,
नेहा बाहर आकर चीखी-
‘भाग! अरी, ओ बिल्ली कानी,
वरना याद दिला दूँ नानी।
बिल्ली की मति थी चकराई,
इम्तहान की बिल्ली आई।

काँपी इम्तहान की बिल्ली,
गई आगरा होकर दिल्ली।
नेहा का था मान बढ़ा अब,
था उसका सम्मान बढ़ा अब।
वह सौ में सौ नम्बर लाई
हुई हर जगह खूब बड़ाई।