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"इरादा नेक है गर तो वो बोले झूठ इतना क्यों / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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हूँ मुसाफ़िऱ सफ़र ज़रूरी है
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इरादा नेक है गर तो वो बोले झूठ इतना क्यों
प्यास भी तो अभी अधूरी है
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निहत्थों से अगर सरकार डरती है तो ऐसा क्यों
  
मेरे घर से है दूर घर उसका
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अगर हिन्दू मुसलमां दोनों को एकसाँ समझते हो
पर दिलों में न कोई दूरी है
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तो मुझको ये बताओ दोनों को आपस में बांटा क्यों
  
हो न पाया मैं कामयाब कभी
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शपथ लेते ही नेता अपना वादा भूल जाता है
मुझको आती न जी हुजूरी है
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मुझे कोई बतायेगा भला ऐसा वो बदला क्यों
  
क्या नतीजा़ हो ख़ुदा ही जाने
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हमारा वोट लेना था तो आया था हमारे घर
मेरी कोशिश तो मगर पूरी है
+
मगर कहकर पराया अब हमें देता है धोखा क्यों
  
मौत से डर किसे नहीं लगता
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तुम्हारे राज में भूखे हैं हम सोचा कभी  तुमने
मेरी गरदन पे रखी छूरी है
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मगर जब हमने हक़ मांगा तो मारा हमको चांटा क्यों
  
खूब कुहरा है कुछ नहीं दिखता
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अकेला जब कभी होता हूँ तो आँसू निकल आते
आज की सुबह भी बेनूरी है
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मुझे इस बात का ग़म है उसे अपना बनाया क्यों
 
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14:20, 17 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण

इरादा नेक है गर तो वो बोले झूठ इतना क्यों
निहत्थों से अगर सरकार डरती है तो ऐसा क्यों

अगर हिन्दू मुसलमां दोनों को एकसाँ समझते हो
तो मुझको ये बताओ दोनों को आपस में बांटा क्यों

शपथ लेते ही नेता अपना वादा भूल जाता है
मुझे कोई बतायेगा भला ऐसा वो बदला क्यों

हमारा वोट लेना था तो आया था हमारे घर
मगर कहकर पराया अब हमें देता है धोखा क्यों

तुम्हारे राज में भूखे हैं हम सोचा कभी तुमने
मगर जब हमने हक़ मांगा तो मारा हमको चांटा क्यों

अकेला जब कभी होता हूँ तो आँसू निकल आते
मुझे इस बात का ग़म है उसे अपना बनाया क्यों