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इश्क़ अब पहले सा कहाँ है जी / स्मिता तिवारी बलिया

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इश्क़ अब पहले सा कहाँ है जी
दरमियां इसके ये जहां है जी।

सारी दौलत यहीं है रह जानी
तुमको किस बात का गुमां है जी।

कौन कहता है मेरा घर ही नहीं
सर पे मेरे ये आसमां है जी।

रूह छोड़ेगी जिस्म को तय है
जिस्म बस भाड़े का मकां है जी।

क्यों भटकते हो तुम इधर से उधर
सबके दिल मे ख़ुदा निहां है जी।