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इश्क़ मोहब्बत का अफ़साना रोज़ नया / राज़िक़ अंसारी

इश्क़ मोहब्बत का अफ़साना रोज़ नया
दश्त में आता है दीवाना रोज़ नया

रोज़ पुराना दोस्त कोई मिल जाता है
हो जाता है ज़ख्म पुराना , रोज़ नया

यकजहती पर हमला करने वालों को
मिल जाता है कोई निशाना रोज़ नया

रोज़ समझना पड़ता है इस दुनिया को
दिखलाता है रंग ज़माना , रोज़ नया

रोज़ मैं अपने दिल को समझा लेता हूँ
मिल जाता है एक बहाना रोज़ नया