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इश्‍क की सारी बातें ऐ दिल पागल-पन की बातें हैं / 'बाकर' मेंहदी

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इश्‍क की सारी बातें ऐ दिल पागल-पन की बातें हैं
ज़ुल्फ-ए-सिह के साए में भी दार-ओ-रसन की बातें है

वीरानों में जा के देखो कैसे कैसे फूल खिले हैं
दीवानों के होंटों पर अब सर ओ सुमन की बातें हैं

कल तक अपने ख़ून के आँसू मिट्टी में मिल जाते थे
आज इसी मिट्टी से पैदा नज़्म-ए-चमन की बातें हैं

ठोकर खाते फिरते हैं इक सुब्ह यहाँ इक शाम वहाँ
आवारा की सारी बातें कोह ओ दमन की बातें हैं

देखें कब किरनें उभरेंगी देखें कब तारें डूबेंगे
हिज्र की शब में अब तक यारो सुब्ह-ए-वतन की बातें हैं