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इससे पहले की जिस्म मर जाये / गौरव त्रिवेदी

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इससे पहले की जिस्म मर जाये,
वक़्त कैसे भी ये गुज़र जाये

कोई तो कह दे ठीक है सबकुछ,
भ्रम से ही दर्द कुछ उतर जाये

मेरी आँखों में आए हैं आँसू
क़ाश ख़ुदपर न अब नज़र जाये

ग़म का मारा तो जी भी सकता है,
ख़ुद का मारा मगर किधर जाये

इतना कमजोर भी नहीं गौरव,
दूरियाँ सह न पाए मर जाए