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"इसे गुनाह कहें या कहें सवाब का काम / शहरयार" के अवतरणों में अंतर

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हम एक चेह्रे को हर ज़ाविए से देख सकें
नदी को सौंप दिया प्यास ने सराब का काम<br><br>
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फिर उसके बाद वो करतीं है सिर्फ़ ख़्वाब का काम<br><br>
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वो रात-कश्ती किनारे लगी कि डूब गई<br>
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फ़रेब ख़ुद को दिए जा रहे हैं और ख़ुश हैं
सितारे निकले तो थे करने माहताब का काम<br><br>
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सराब = मरीचिका
उसे ख़बर है कि दुश्वार है हिजाब का काम<br><br>
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नक्शे-आब = जल्दी मिट जाने वाला निशान
सराब = मरीचिका<br>
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हिजाब = पर्दा
 
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18:30, 29 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

इसे गुनाह कहें या कहें सवाब का काम
नदी को सौंप दिया प्यास ने सराब का काम

हम एक चेह्रे को हर ज़ाविए से देख सकें
किसी तरह से मुकम्मल हो नक्शे-आब का काम

हमारी आँखे कि पहले तो खूब जागती हैं
फिर उसके बाद वो करतीं है सिर्फ़ ख़्वाब का काम

वो रात-कश्ती किनारे लगी कि डूब गई
सितारे निकले तो थे करने माहताब का काम

फ़रेब ख़ुद को दिए जा रहे हैं और ख़ुश हैं
उसे ख़बर है कि दुश्वार है हिजाब का काम

सराब = मरीचिका
जाविए = कोण
नक्शे-आब = जल्दी मिट जाने वाला निशान
हिजाब = पर्दा