Last modified on 16 जून 2010, at 12:05

इस्म / परवीन शाकिर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:05, 16 जून 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बहुत प्यार से
बाद मुद्दत के
जब से किसी शख़्स ने चाँद कहकर बुलाया है
तब से
अंधेरों की खूगर निगाहों को
हर रोशनी अच्छी लगने लगी है