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इस जीवन का भेद / सुमित्रानंदन पंत

इस जीवन का भेद
जिसे मिल गया गभीर अपार,
रहा न उसको क्लेद
मरण भी बना स्वर्ग का द्वार!
करले आत्म विकास,
खोज पथ, जब तक दीपक हाथ,
मरने बाद, निराश,
छोड़ देगा प्रकाश भी साथ!