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इस लोकतंत्र में / समीर बरन नन्दी

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बेहुला !
सती बेहुला  !!

पुराना अँधेरा नए झंझावात में
जीवन सागर की छाती पर
केले की भेरी में एकाकीपन
की इतनी लम्बी डगर पर

हम भी --
तुम्हारी ही तरह -- तप्त ।