ईं नगरी में सोवै-जागै अंधारो
देखूं म्हैं अंधारै सागै अंधारो
उजास खातर फरियाद बिरथा अठै
अंधारै रै भाई लागै अंधारो
इण डांडी सूं जावणियां सुणो तो सरी
लाधैला अंधारै आगै अंधारो
अगूण में पसरी हळकी-हळकी लाली
खुद रै हाथां मरतो लागै अंधारो
चोर रा पग हुवै काचा लो आ देखो
सूरज आवै दीसै भागै अंधारो