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ईश्वर को नसीहत / देवेश पथ सारिया

स्त्रियों को बताया गया-
"नर और मादा एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं"
उन्होंने पूछा कि अगल-बगल के
या आगे-पीछे के
और उन्हें जवाब मिला कि विन्यास बदलता रहता है

ढुलमुल जवाब देकर टाला गया उन्हें
हर बार यह पूछने पर
कि उनकी जगह कहां है
उनकी जड़ें किस जमीन या दलदल में हैं

यदि खरी उतर पाईंं वे
पुराने जमाने में
गृह कार्य में दक्षता जैसी कसौटी पर
और नए जमाने में
एक अदद डिग्री एप्रेन की तरह लपेेट रसोई बनाने पर
और हर दौर में रंग, रूप की शाश्वत अपेक्षा पर
तब उन्हें 'ईश्वर की सबसे सुन्दर कृति' कह नवाजा गया

ईश्वर की सबसे सुंदर कृति के हिस्से में आया
उसकी विराट दुनिया का बस एक कोना
भले वह गरीब की झोपड़ी हो
या किसी राजा का अंतःपुर

संतान को जीवन देने पर उन्हें कह दिया गया
स्वयं ईश्वर ही
और उन्हें नसीहत दी गयी
कि कदाचित वे जन्म ना दे डालें
अपनी जैसी दूसरी ईश्वर को

इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक के मुहाने पर खड़े
भारतवर्ष के समाज का एक हिस्सा
बनाता रहा मज़ाक अनुवांशिकी के नियमों का
जिनके अनुसार
पुरुष के गुणसूत्र से तय होता है
संतान का लिंग

गर्भाधान से पहले, गर्भधारण के पश्चात
कोशिशें होती रहीं
कि जड़ी-बूटी, टोने-टोटके से शिशु 'वारिस' ही हो
वही एक्स-वाई क्रोमोसोम का समुच्चय
वारिस की परिभाषा समाज की संकीर्ण ही रही

कोशिशें गर्भस्थ शिशु का रंग उजला करने की भी हुईं
भर गर्मी में भी खोपरे का गर्म तासीर वाला बीज
या ऐसा ही कुछ और
प्रसूता को खिलाकर

चारदिवारी के परिदृश्य में
वे गृहणी होने की उपादेयता सिद्ध करने का प्रयास करती रहीं
और होती रहीं असफल

सबसे निचले आर्थिक स्तर पर
वे मजदूरी पर गयीं
तो ठेकेदार ने कानून की धज्जियां उड़ा
उनकी मजदूरी में से पुरुषों की तुलना में
ज्यादा चुंगी काटी

सबसे ऊंचे मंचोंं पर भी
वे थोड़ा ही आगे बढ़ पाईं हाशिए से
यदि उन्हें मिल भी पाई
किसी पृष्ठ की पंक्तियों पर
बीच की जगह
तो नीचे वाली पंक्तियों में

हॉलीवुड तक में
उन्हें कम मिला पारिश्रमिक
और बॉलीवुड में तो कहा गया-
"पैसे लो कम और चमको पुरुषों से अधिक
यहां तुम सुंदर दिखने और नाचने भर के लिए हो"

ग्रास, हार्ड और क्ले
टेनिस के हर कोर्ट पर
उन्होंने पसीने की बाल्टियां भर दी
तीन पुरुष टेनिस खिलाड़ी
अधिकतम ग्रैंड स्लैम जीतने की दौड़ में थे
"ग्रेटेस्ट ऑफ़ आल टाइम (GOAT)" के काल्पनिक तमगे की चाह में
तमाम पुरुषों से अधिक ग्रैंड स्लैम जीतकर भी
कम रही महिला खिलाड़ियोंं की इनामी राशि
और कभी नहीं माना गया उन्हें "GOAT" का दावेदार

उन्होंनेेे सोचा
कि पहिए के बदलते क्रम के साथ
बदलता होगा समय भी
क्योंकि उन्हें यकीन नहीं रह गया था
कर्म के अनुकूल प्रारब्ध पर
उन्होंने मानी एक संभावना
कि महत्त्व तय करने को
उछाला जाता होगा कोई सिक्का
जिसे गिरना चाहिए
गणित के प्रायिकता के सिद्धांत से
पचास फ़ीसदी मौक़ों पर
उनके भी पक्ष में

किंतु
नियति का कृत्रिम इतिहास
यहां भी मुस्तैद खड़ा था
दुनिया के हर कोने की टकसालों ने
सिक्के की दोनों ओर
पुरुष को ही गढ़ा था