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ईश्वर हो जाऊँगा... / विमलेश त्रिपाठी

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शब्दों में ही खोजूँगा
और पाऊँगा तुम्हें
 
वर्ण-वर्ण जोड़कर गढूँगा
बिल्कुल तुम्हारे जितना ही सुन्दर
एक शब्द
 
और
आत्मा की संपूर्ण शक्ति भर
फूँक दूँगा निश्छल प्राण
 
जीवंत कर तुम्हें
कवि हो जाऊँगा
ईश्वर हो जाऊँगा...