♦ रचनाकार: ईसुरी
इक दिन होत सबई का गौनों
होनों औ अनहोंनों ।
जाने परत सासरें साँसऊँ
बुरऔ लगै चाय नौंनों
जा ना बात काउ के बस की
हँसी मचै चाय रौंनों
राखौ चायें जौनों ईसुर
दयें इनईं भर सोनों ।
इक दिन होत सबई का गौनों
होनों औ अनहोंनों ।
जाने परत सासरें साँसऊँ
बुरऔ लगै चाय नौंनों
जा ना बात काउ के बस की
हँसी मचै चाय रौंनों
राखौ चायें जौनों ईसुर
दयें इनईं भर सोनों ।