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ई खजूर का काटब भइयनि / भारतेन्दु मिश्र

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ई खजूर का काटब भइयनि
बरगदु हियैं लगइबा।

ई कूटी पर बरसन पहिले
बरगदु एकु रहै
मरती बेरा दादा हमते
कहिगा रहै यहै
अपने ट्वाला केरि बपउती
हरगिज नाइ गँवइबा।

है हमार धरती द्याखौ
बरगद की जड़ अबहिउ है
यू खजूरु तौ झगड़ै की
बदि इथिरन लाग रहै
हम आपन इतिहासु
सिधाई मइहा नाइ भुलइबा।

जो खजूर कटि जइहै तौ
सगरा ट्वाला कटि जाई
अगलै-बगल लगाय लेव
सरपंच कहैं सुखुदाई
चाहै जेतने मरैं-जियैं
हम यहै जिद्दि मनवइबा।