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ई बगिया के सम्हारे में / सिलसिला / रणजीत दुधु

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कतना माली मर मिटलइ ई बगिया अपन सम्हारे में
काहे आँख गड़इले हा तों एकरा रोज उजाड़े में।

गेंदा जूही चम्पा बेली
उड़हुल के संग फूल चमेली
तरह-तरह के फूल खिलल हे
आपस में मिल झूम रहल हे

फुदक-फुदक के कोय गावे हरियाली के आरे में
कतना माली मर मिटलइ ई बगिया अपन सम्हारे में।

देख गुलाब के टुह टुह लाली
छा जा हे मन में खुशियाली
भौंरा जब तान सुनावे हे
ऊ मनके मइले मेटावे हे

धरती के न´ जोग के रखवाऽ, रह जइबा अंधियारे में
कतना माली मर मिटलइ ई बगिया अपन सम्हारे में।

जइसे पंक्षी गाछ बसेरा
बइसी तहूँ डालऽ अब डेरा
पंछी मिलजुल रह के देखावे
प्रेम संदेश दुनिया के सिखावे

चेतऽ सब मिल के अब सोंचऽ परकिरती के बारे में
कतना माली मर मिटलइ ई बगिया अपन सम्हारे में।