Last modified on 9 मई 2012, at 18:32

उकताहट / कंस्तांतिन कवाफ़ी

एक ऊबाने वाला दिन लाता है दूसरा
बिलकुल वैसा ही उबाऊ ।
एक-सी चीज़ें घटेंगी,
वे घटेंगी फिर...
वही घड़ियाँ हमें पाती हैं और छोड़ देती हमें ।

गुज़रता है महीना एक और दूसरे में आता ।
कोई भी सरलता से घटनाएँ भाँप ले सकता है आने वाली;
वे वही हैं बीते दिन की बोझिल वाली ।
और ख़त्म होता है आने वाला कल बिना एक आने वाला कल लगे

अँग्रेज़ी से अनुवाद : पीयूष दईया