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उगे जमीन में ऐसी नई फसल सुन लो / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

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उगे जमीन में ऐसी नई फसल सुन लो।
उसी बहर पर बनी है नई ग़ज़ल सुन लो।।

चिराग तेल बिना किस तरह जले घर में।
खुदा गरीब की ये हाल है असल सुन लो।।

किसी गरीब घर रोटी पकी नहीं अबतक।
मुझे मलाल यही है नयन सजल सुन लो।।

उसे कभी न खिलाओ कसम निभाने की।
कभी अदीब किया क्या नहीं अमल सुन लो।।

खिले न फूल कहीं बाग क्या करें माली।
कभी खिला ही नहीं कींच बिन कमल सुन लो।।