Last modified on 24 जनवरी 2020, at 19:57

उड़ंची / सरोज कुमार

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:57, 24 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोज कुमार |अनुवादक= |संग्रह=शब्द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम्हें कोई उड़ंची दे सकता है,
आकाश नहीं!
अपनी पतंग तो
तुम्हें ही उड़ाना पड़ेगी!

उसकी काँप,
उसके ठुड्डे
उसका मंजा,
उसकी ठुमकी
उसका हुचका!
सबका अपना गणित है!

उड़ंची वाली
शुरुआती उड़ान
पतंगबाजी नहीं है!
पतंग के दाँव, उसके पेंच
उसकी ढील, उसकी खेंच
सबका अपना व्याकरण है!

उड़ंची, ऊंचाइयों का
आश्वासन नहीं है!