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"उत्केंद्रित? / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर

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मैं ज़िंदगी से भागना नहीं  
 
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उसे झकझोरना चाहता हूँ  
 
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उसके काल्पनिक अक्ष पर  
 
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ठीक उस जगह जहाँ वह  
 
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सबसे अधिक बेध्य हो कविता द्वारा।
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उस आच्छादित शक्ति-स्त्रोत को  
 
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सधे हुए प्रहारों द्वारा  
 
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पहले तो विचलित कर  
 
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फिर उसे कीलित कर जाना चाहता हूँ  
 
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नियतिबद्ध परिक्रमा से मोड़ कर  
 
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पराक्रम की धुरी पर  
 
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एक प्रगति-बिन्दु  
 
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यांत्रिकता की अपेक्षा  
 
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मनुष्यता की ओर ज़्यादा सरका हुआ...
 
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15:52, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

मैं ज़िंदगी से भागना नहीं
उससे जुड़ना चाहता हूँ। -
उसे झकझोरना चाहता हूँ
उसके काल्पनिक अक्ष पर
ठीक उस जगह जहाँ वह
सबसे अधिक बेध्य हो कविता द्वारा।

उस आच्छादित शक्ति-स्त्रोत को
सधे हुए प्रहारों द्वारा
पहले तो विचलित कर
फिर उसे कीलित कर जाना चाहता हूँ
नियतिबद्ध परिक्रमा से मोड़ कर
पराक्रम की धुरी पर
एक प्रगति-बिन्दु
यांत्रिकता की अपेक्षा
मनुष्यता की ओर ज़्यादा सरका हुआ...