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[[Category:हाइकु]]
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181
उदासी ओढ़े
कब तक है सोना?
दुख ही बोना।
182
खुली अलकें
बोझिल हैं पलके
सँवारों इन्हें
183
नींद न आई
पदचाप पाने में
उम्र बिताई
184
सुगन्ध मिली
ये शरद चाँदनी
चाँदी से बनी
185
धुले रूप -सी
गुनगुनी धूप -सी
यादें तुम्हारी।
186
आँचल छुपी
सूप भर बिखेरी
धवल चाँदनी ।
187 दीपक नहींछिटकी धरा पर शिशु की हँसी ।188 आँधियाँ चलें देख निष्कम्प दीपपथ से टलें189 दीप प्रेम का हर घर में जले अँधेरा टले ।190 स्नेह से भरो उर- दीप को उज्ज्वल करो।191 आँधियों का क्या बुझाएँगी वे दीप हमें जलाना 192 अँधेरे हटा उगाएँगे सूरजहर आँगन।193 ठिठुरा चाँद मलमल का कुर्ता जब पहना194 सिहरा ताल लिपटी थी धुंध की शीतल शाल ।195 नि:शब्द मन भावों के घिरे घन बरसे नहीं।196 स्नेह छुअन ताप था बह गया निमल मन।197मैं वो नहीं कोई और होगा जो छलता रहा198मै तो साथ थाअँधेरों मे हमेशा जलता रहा । 199प्रेम जो मिला मुरझाया जीवन फूल- सा खिला ।200ये प्यार कभी परखा नहीं जाता सिर्फ़ तन से ।
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