भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
उदास रहता है बैठा शराब पीता है
वो जबभी जब भी होता है तन्हा <ref>अकेला</ref> शराब पीता है
तुम्हारी आँखों की तौहीन <ref>अपमान</ref> है ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है