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"उनके पश्चात् / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर

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कुछ घटता चला जाता है मुझमें  
 
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उनके न रहने से जो थे मेरे साथ  
 
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मैं क्या कह सकता हूँ उनके बारे में, अब  
 
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कुछ भी कहना एक धीमी मौत सहना है।  
 
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हे दयालु अकस्मात्
 
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ये मेरे दिन हैं ?
 
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या उनकी रात ?
 
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मैं हूँ कि मेरी जगह कोई और  
 
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कर रहा उनके किये धरे पर ग़ौर ?
 
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मैं और मेरी दुनिया, जैसे  
 
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कुछ बचा रह गया हो उनका ही  
 
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उनके पश्चात्
 
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ऐसा क्या हो सकता है  
 
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उनका कृतित्व-
 
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उनका अमरत्व -
 
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उनका मनुष्यत्व-
 
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ऐसा कुछ सान्त्वनीय ऐसा कुछ अर्थवान  
 
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जो न हो केवल एक देह का अवसान ?
 
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ऐसा क्या कहा जा सकता है  
 
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किसी के बारे में
 
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जिसमें न हो उसके न-होने की याद ?  
 
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सौ साल बाद  
 
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परस्पर सहयोग से प्रकाशित एक स्मारिका,
 
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पारंपरिक सौजन्य से आयोजित एक शोकसभा :
 
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किसी पुस्तक की पीठ पर  
 
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एक विवर्ण मुखाकृति
 
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विज्ञापित  
 
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एक अविश्वसनीय मुस्कान !
 
एक अविश्वसनीय मुस्कान !
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02:05, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

कुछ घटता चला जाता है मुझमें
उनके न रहने से जो थे मेरे साथ

मैं क्या कह सकता हूँ उनके बारे में, अब
कुछ भी कहना एक धीमी मौत सहना है।

हे दयालु अकस्मात्
ये मेरे दिन हैं ?
या उनकी रात ?

मैं हूँ कि मेरी जगह कोई और
कर रहा उनके किये धरे पर ग़ौर ?
मैं और मेरी दुनिया, जैसे
कुछ बचा रह गया हो उनका ही
उनके पश्चात्

ऐसा क्या हो सकता है
उनका कृतित्व-
उनका अमरत्व -
उनका मनुष्यत्व-
ऐसा कुछ सान्त्वनीय ऐसा कुछ अर्थवान
जो न हो केवल एक देह का अवसान ?

ऐसा क्या कहा जा सकता है
किसी के बारे में
जिसमें न हो उसके न-होने की याद ?

सौ साल बाद
परस्पर सहयोग से प्रकाशित एक स्मारिका,
पारंपरिक सौजन्य से आयोजित एक शोकसभा :

किसी पुस्तक की पीठ पर
एक विवर्ण मुखाकृति
विज्ञापित
एक अविश्वसनीय मुस्कान !