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उनुका से कहि दऽ / अशोक द्विवेदी

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उनुका से कहि दऽ / डॉ अशोक द्विवेदी

रसे-रसे महुवा फुलाइल हो रामा उनुका से कहि दऽ। रस देखि भँवरा लोभाइल हो रामा उनुका से कहि दऽ।

पुलुई चढ़ल फिरु उतरल फगुनवा कुहुँकि-कुहुँकि रे बेकल मनवाँ सपनो में चएन न आइल हो रामा। उनुका से कहि दऽ।

टहटह खिलल आ झरल अँजोरिया झुरुकलि कइ राति पुरुबी बयरिया अँखिया अउर सपनाइल हो रामा उनुका से कहि दऽ।

चइते लेसाइल बिरह अगिनिया सेजिया पऽ लोटेले सुधि के नगिनिया रतिया लगेले बिखियाइल हो रामा उनुका से कहि दऽ।