http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%89%E0%A4%A8_%E0%A4%95%E0%A5%8B_%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%BC_%E0%A4%8F%E0%A4%95_%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BE_%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B2%E0%A4%BE_%E0%A4%96%E0%A4%BC%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%B0_%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%8F_/_%27%E0%A4%B5%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%A6%27_%E0%A4%85%E0%A4%96%E0%A4%BC%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0&feed=atom&action=historyउन को रोज़ एक ताज़ा हीला ख़ंजर चाहिए / 'वहीद' अख़्तर - अवतरण इतिहास2024-03-28T19:46:52Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%89%E0%A4%A8_%E0%A4%95%E0%A5%8B_%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%BC_%E0%A4%8F%E0%A4%95_%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BE_%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B2%E0%A4%BE_%E0%A4%96%E0%A4%BC%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%B0_%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%8F_/_%27%E0%A4%B5%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%A6%27_%E0%A4%85%E0%A4%96%E0%A4%BC%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0&diff=157116&oldid=prevसशुल्क योगदानकर्ता २: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='वहीद' अख़्तर }} {{KKCatGhazal}} <poem> उन को रोज़ ...' के साथ नया पन्ना बनाया2013-07-20T11:32:41Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='वहीद' अख़्तर }} {{KKCatGhazal}} <poem> उन को रोज़ ...' के साथ नया पन्ना बनाया</p>
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उन को रोज़ एक ताज़ा हीला ख़ंजर चाहिए<br />
हम को रोज़ इक जाँ नई और इक नया सर चाहिए<br />
<br />
इल्तिफ़ात ओ सरगिरानी पर ख़ुशी क्या रंज क्या<br />
कुछ बहाना इस से बढ़ कर दीदा-ए-तर चाहिए<br />
<br />
क्या दिखाएँ ख़ुश्क लब दो बूँद के साक़ी हैं सब<br />
प्यास सहरा-ए-अज़ल उस को समंदर चाहिए<br />
<br />
सच की इक नन्ही सी कोंपल को कुचलने के लिए<br />
झूठ और दुश्नाम के लश्कर के लश्कर चाहिए<br />
<br />
सब्र का दामान-ए-दौलत है अमीरों का अमीर<br />
जब्र की दरयूज़्गी को सैंकड़ों दर चाहिए<br />
<br />
बुत बनाने पूजने फिर तोड़ने के वास्ते<br />
ख़ुद-परस्ती को नया हर रोज़ पत्थर चाहिए<br />
<br />
हम ने जिस दुनिया को ठुकराया था उन के वास्ते<br />
मिल गए वो तो उसी दुनिया का चक्कर चाहिए<br />
</poem></div>सशुल्क योगदानकर्ता २