उम्र की दास्तान लम्बी है
चैन कम है थकान लम्बी है
हौसले देखिए परिंदों के
पर कटे हैं उड़ान लम्बे हैं
पैर फिसले ख़ताएँ याद आईं
कैसे ठहरें ढलान लम्बी है
ज़िंदगी की ज़रूरतें समझो
वक़्त कम है दुकान लम्बी है
झूठ-सच, जीत-हार की बातें
छोड़िए दास्तान लम्बी है