उर्वशि, रम्भा, मेनका, कभी न होती बूढ । यह रहस्य जानें नहीं, ज्ञानी और विमूढ़। ज्ञानी और विमूढ़ , कौन सा क्रीम लगाती। च्यवनप्राश या भस्म, न जाने क्या क्या खाती। कह मुन्ना कविराय, बात यह लगे अचम्भा। पुरुषों से यह राज, न कहती उर्वशि, रम्भा।।