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[[Category: सेदोका]]
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26ज्ञान-उजेराढक लिया हाथों सेहे क्षुद्र साहित्यकार?'मैं-मै' का चढ़ाजीवन में बुखारइसे अब उतार।27उर–कम्पननिर्मल ज्यों दर्पनभावों–भरी मिठास,सुख-दु: ख-सेसदा साथ रहेंगेबनके परछाई।28मन-सौरभकरता सुरभितप्राणों की अँगड़ाई,भाव-डोर सेछाया-सी बँधी तुमजीवन–अमरा॥29बोल तुम्हारेबने शीतल छायाछतनार नीम की,जीवन खिलाशब्दों का मधुरिमस्पर्श मिला मन को।30छलती छायासगे-सम्बन्धी-जैसेजब दुर्दिन आते,मिलता कोईहमको मीत साँचाजो मन को भी बाँचे
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