भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उसका पावन मन देखा है / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
(कोई अंतर नहीं)

20:32, 4 मई 2019 के समय का अवतरण

जीवन का दर्पण देखा है।

विरहन मन हर्षित हो नाचे,
घर आए साजन देखा है।

उमड़-घुमड़ कर आई खुशियाँ,
सपना मन भावना देखा है।

जीवन के मुश्किल पल में भी,
हँसता घर आँगन देखा है।

रूठा बचपन बिहस रहा है,
थाली में भोजन देखा है।