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उसकी दुनिया / अनिल जनविजय

29 bytes removed, 07:44, 17 नवम्बर 2010
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उसकी दुनिया
बिल्कुल अलग है
उसकी दुनिया में सपने हैं यार के
दिन-रात उसके पास रहे, ऎसे ऐसे दिलदार के
बिल्कुल अलग है उसकी दुनिया
मेरी दुनिया से
 
उसकी दुनिया में अभी भूख नहीं है
खर्चे दुनिया भर के नहीं हैं वहाँ
चर्चे दुनिया भर के नहीं हैं वहाँ
 
उसकी दुनिया
मेरी दुनिया से
'''(1997 में रचित''')
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