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उसने लगाई ऐसे मेरे दिल पे गहरी चोट / सादिक़ रिज़वी

उस ने लगाई ऐसे मेरे दिल पे गहरी चोट
ता उम्र अच्छी हो न सकी बेवफा के चोट

वादों के लफ्ज़ दिल की टहोकों की ज़द में थे
रह रह के जहने दिल को जो पहुंचा रही थी चोट

होकर असीर इश्क़ में ली लज्ज़ते शबाब
आज़ाद कर के उस ने दिया बेकली की चोट

दुश्मन को भी ख़ुदा न दिखाए कभी वह दौर
जिस तरह राहे इश्क़ में आशिक़ ने खाई चोट

अहदे वफ़ा की तुमने वह क़समें भी तोड़ दीं
इक़रार पर जो रहते तो दिल पर न पड़ती चोट

आँसू भी ख़ुश्क हो गए वीरान आँख के
उस बेवफा की याद को दफना के भर दी चोट

'सादिक़' था कामयाब मोहब्बत की राह में
दिल पर लगी तो अहले जहाँ ने न देखी चोट