Last modified on 13 जून 2010, at 01:51

उसने संकेत मे कहा होगा / विजय वाते

वीनस केशरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:51, 13 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=विजय वाते |संग्रह= ग़ज़ल / विजय वाते }} {{KKCatGhazal}} <poem> बात में…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बात में दर्द भी दबा होगा
उसने संकेत में कहा होगा

जिसने खोली न उम्र भर आँखें
उसकी आँखों में कुछ छुपा होगा

वो मेरा घर हो या के सपना हो
तेरी आँखों मे जागता होगा

ये गजल है कि कोई हिचकी है
वो मेरी बात कर रहा होगा