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उसाँस / विष्णु खरे

कभी-कभी
जब उसे मालूम नहीं रहता कि
कोई उसे सुन रहा है
तो वह हौले से उसाँस में सिर्फ़
हे भगवन... हे भगवन... कहती है

वह नास्तिक नहीं लेकिन
तब वह ईश्वर को नहीं पुकार रही होती
उसके उस कहने में कोई शिक़वा नहीं होता

ज़िन्दगी भर उसके साथ जो हुआ
उसने जो सहा
ये दुहराए गए शब्द फ़क़त उसका खुलासा हैं