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उसी का नाम अम्बर पर लिखा है / अमन चाँदपुरी

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उसी का नाम अम्बर पर लिखा है
जो अपने देश पर मर-मिट चुका है

डुबोया फ़स्ल को बादल ने फिर-से
हमारे पेट में सूखा पड़ा है

अभी तो मिल रहा है हर किसी से
बशर वो शह्र में शायद नया है

है जिसके पास ताक़त इस जहां में
सलामत बस यहाँ उसका गला है

बिठाया था जिसे पलकों पे मैंने
उसी ने फिर मुझे ज़ख़्मी किया है

कहोगे क्या 'अमन' ताज़ा ग़ज़ल में
बुज़ुर्गों ने तो सब-कुछ कह दिया है