भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उस आलीशान घर में / शर्मिष्ठा पाण्डेय

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:59, 3 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शर्मिष्ठा पाण्डेय }} {{KKCatKavita}} <poem> उस आ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उस आलिशान घर में ढेरों सजे थे
कीमती सामान
आसाइशें
रोने को भी खाली न थे कोने
उन कोनों पर भी पहले से ही थी नमी
सीलन वाली देह की मिट्टी का भुरभुरापन
सनता रहा अपने ही आंसुओं के गीलेपन से
ज़बरन दबाई गयी भावनाओं को ये कब्र ही मुनासिब पायी
फूल ज़रूरी नहीं इन पर
बताया तो था
ढेरों सजावटी
कीमती सामान पहले ही थे