Last modified on 29 अक्टूबर 2018, at 03:56

उस एक पल के लिए / सुकेश साहनी

बैठता
जरूर है
बंदूक पर कबूतर
चाहे एक पल के लिए
ठिठकते
जरूर हैं
खुदकुशी पर आमादा कदम
चाहे एक पल के लिए
धड़कता
जरूर है
धुन खाया उदास दिल
चाहे एक पल के लिए
जवाबदेही
हमारी भी है
दोस्तो
उस-
एक पल के लिए
चाहें तो
चुरा-लें-नजरें
या कि-
समेट लें
उस पल को
नवजात शिशु की तरह