भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
न वसंत हो, न पतझड़,<br>
हो सिर्फ ऊँचाई का अंधड़,<br>
मात्र अकेलापन अकेलेपन का सन्नाटा।<br><br>
:::मेरे प्रभु!<br>