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"ऊँचि डांड्यू तुम नीसि जावा / गढ़वाली" के अवतरणों में अंतर

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--'हे ऊँची पहाड़ियो! तुम नीची हो जाओ ।
 
--'हे ऊँची पहाड़ियो! तुम नीची हो जाओ ।
  

03:58, 19 मार्च 2009 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: महिमानंद ममगाईं

ऊँचि डांड्यू तुम नीसी जावा

घणी कुलायो तुम छाँटि होवा

मैकू लगी छ खुद मैतुड़ा की

बाबाजी को देखण देस देवा

मैत की मेरी तु त पौण प्यारी

सुणौ तु रैवार त मा को मेरी

गडू गदन्य व हिलाँस कप्फू

मैत को मेर तुम गीत गावा


भावार्थ
--'हे ऊँची पहाड़ियो! तुम नीची हो जाओ ।

ओ चीड़ के घने वृक्षो! तुम समने से छँट जाओ ।

मुझे मायके की याद सता रही है,

मुझे पिता जी का देस देखने दो ।

ओ मेरे मायके की हवा !

मेरी माँ का सन्देश सुना ।

ओ नदी-नालो! ओ हिलाँस पक्षी! ओ कप्फू!

तुम सब मिल कर मेरे मायके का गीत गाओ ।'