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ऊँ ते समदी आयो देड़ दमड़ी को / पँवारी

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पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

ऊँ ते समदी आयो देड़ दमड़ी को
फुटी कौड़ी को।।
हमरो पलंग बन्यो हाय पाँ रूपया को
तोनऽ तड़प लायो देड़ दमड़ी को
फुटी कौड़ी को।।
हमरो पलंग बन्यो हाय पाँ रूपया को
तोनऽ तड़प लायो देड़ दमड़ी को
फुटी कौड़ी को।।
हमरो पलंग बन्यो हय पाँच रूपया को।।